न दवाई, न इन्सुलिन नेचुरोपैथी की इस क्रिया से दूर होगा मधुमेह, इन रोगों को भी ऐसे करें दूर|
गलत खानपान, धूम्रपान, तली-भुनी चीजें, फ़ास्ट फ़ूड और आरामदेह जीवनशैली से मधुमेह के रोगियों में तेजी से वृद्धि हुई है।
ऐसे मरीज के उपचार में पहले रोगी के पेट की सिकाई व पेट पर मिट्टी का लेप लगाया जाता है। पानी में बैठाकर डीप बाथ करवाया जाता है। फिर वाष्प स्थान भाप देकर शरीर की मालिश की जाती है। साथ ही क्या खाएं, क्या परहेज करें यह भी बताते हैं जिससे मधुमेह में कमी आती है। ऐसे रोगियों का उपचार कम से कम तीन माह तक चलता है। आगे भी नियमित आना होता है। इसके अलावा, नैचुरोपैथी में अस्थमा व पाइल्स का भी इलाज संभव है।
क्या है कुंजल क्रिया?
गर्मियों में एसीडिटी की समस्या तो आम है। इसको दूर करने के लिए कुंजल क्रिया बेहद अच्छा उपचार है। एक जग में छह गिलास पानी में एक नमक डालकर उसे गर्म करें। सुबह के समय तब तक पीते रहें जब तक उल्टी न आ जाए। उल्टी के दौरान दो उंगली गले में डालकर सारा पानी निकाल दें। जब पीला पानी आने लगे तब रुकें। तकलीफ होने पर सप्ताह में ऐसा करें। बाद में एक माह में एक बार फिर दो माह में। जिससे एसिडीटी की तकलीफ पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।
नींबू व शहद अपनाएं, मोटापा दूर भगाएं|
नैचुरोपैथी से इसे कम किया जा सकता है। एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़ें और एक चम्मच शहद मिलाएं।
नियमित तौर से इसे पीने से मोटापा कम होगा। क्योंकि नींबू मेटाबोलिक को कम करता है।
नींद न आना भी आज एक बड़ी समस्या है। सौआसन व शाष्टांग आसन से नींद न आने की तकलीफ को दूर भगाया जा सकता है।
क्या है सौआसन?
सौ आसन में एक समतल बिस्तर पर लेट जाएं और हाथ व पैर को फैला लें। फिर आंख बंद कर भौं का समेट कर मस्तिष्क केन्द्रित करें। इससे जल्द नींद आ जाएगी। वहीं शाष्टांग आसन में पेट के बल लेट जाएं। पांच से 15 मिनट शांत मन से लेटे रहें, नींद आ जाएगी।